Friday, 8 May 2020

मजदूर बिना सब मजबूर

मजदूरों का पलायन
पहले तो सुध नहीं ली
अब चिंता हो रही
उन्हें रोका जा रहा
काम कैसे होगा
फिर वह निर्माण कार्य हो
या खेती
सारा बोझ इनके कंधों पर
यह राष्ट्र की रीढ़ है
मजदूरों की ही बदौलत सब
उनकी अहमियत कितनी कम
जब किसी को क्रोध आता है
तब उन्हें ही सबसे पहले निशाना बनाया जाता है
मारा पीटा जाता है
राष्ट्र निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका
हमेशा उनको तुच्छ लेखना
अब ऑख खुल रही है
अच्छा है
कम से कम उनकी अहमियत तो समझ आ रही है
मजदूर बिना सब मजबूर
मजदूर है तो देश मजबूत

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