मजदूरों का पलायन
पहले तो सुध नहीं ली
अब चिंता हो रही
उन्हें रोका जा रहा
काम कैसे होगा
फिर वह निर्माण कार्य हो
या खेती
सारा बोझ इनके कंधों पर
यह राष्ट्र की रीढ़ है
मजदूरों की ही बदौलत सब
उनकी अहमियत कितनी कम
जब किसी को क्रोध आता है
तब उन्हें ही सबसे पहले निशाना बनाया जाता है
मारा पीटा जाता है
राष्ट्र निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका
हमेशा उनको तुच्छ लेखना
अब ऑख खुल रही है
अच्छा है
कम से कम उनकी अहमियत तो समझ आ रही है
मजदूर बिना सब मजबूर
मजदूर है तो देश मजबूत
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Friday, 8 May 2020
मजदूर बिना सब मजबूर
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