Saturday, 16 May 2020

अपने ही देश में दुर्व्यवस्था

आज समाचार देखने का मन नहीं करता
मन विचलित हो जाता है
हर रोज मजदूरों की मौत
कभी गिरकर
कभी कटकर
कभी दुर्घटनाग्रस्त
जी नहीं कचोटता क्या हुक्मरानो का
इतना दर्दनाक दृश्य
इन्हीं के बल पर राज कर रहे ये लोग
लगता है किस देश में हम रह रहे हैं
जहाँ इंसान की जान की कीमत नहीं
अंधेर नगरी हो गई है
अभी तो गरीब सिसक रहा है
मध्यम वर्ग तो अपने ऑसू छिपा कर बैठा है
परिस्थिति बद से बदतर हुई जा रही है
करोना का कहर तो है ही
व्यवस्थाओ का कहर उससे और ज्यादा है
हर व्यक्ति को उसके हाल पर छोड़ दिया
न नीति है
न सोच है
बस कानून
व्यक्ति के लिए कानून होता है
कानून के लिए व्यक्ति नहीं
जो मर रहा है
वह मर रहा है
जो भर रहा है
वह भर रहा है
कहाँ जाएँ
क्या करें
अपने ही देश में यह दुर्व्यवस्था

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