आज समाचार देखने का मन नहीं करता
मन विचलित हो जाता है
हर रोज मजदूरों की मौत
कभी गिरकर
कभी कटकर
कभी दुर्घटनाग्रस्त
जी नहीं कचोटता क्या हुक्मरानो का
इतना दर्दनाक दृश्य
इन्हीं के बल पर राज कर रहे ये लोग
लगता है किस देश में हम रह रहे हैं
जहाँ इंसान की जान की कीमत नहीं
अंधेर नगरी हो गई है
अभी तो गरीब सिसक रहा है
मध्यम वर्ग तो अपने ऑसू छिपा कर बैठा है
परिस्थिति बद से बदतर हुई जा रही है
करोना का कहर तो है ही
व्यवस्थाओ का कहर उससे और ज्यादा है
हर व्यक्ति को उसके हाल पर छोड़ दिया
न नीति है
न सोच है
बस कानून
व्यक्ति के लिए कानून होता है
कानून के लिए व्यक्ति नहीं
जो मर रहा है
वह मर रहा है
जो भर रहा है
वह भर रहा है
कहाँ जाएँ
क्या करें
अपने ही देश में यह दुर्व्यवस्था
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Saturday, 16 May 2020
अपने ही देश में दुर्व्यवस्था
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