जाना था रंगून पहुँच गए चीन
यह गाना काफी बार सुना था
पर आज वह सच हो रहा है
सत्तर साल में यह तो नहीं हुआ
रेल अपना रास्ता भटक गई
वह भी एक नहीं
कई कई ट्रेने
जाना था गोरखपुर पहुँच गई उड़ीसा
ऐसा गफलत भारतीय रेल में
नेता तो रास्ता भटक ही गए हैं
आपस में बडबोल
एक दूसरे पर दोषारोपण
देश का मुखिया मौन
धर्म की और नफरत की राजनीति
यह चुनाव का समय नहीं है
आपदा का है
सत्ता की जोड़ तोड़ बाद में कर लेना
इस समय सही राह पर आओ
न खुद भटको
न रेल को भटकने दो
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