महाभारत चल रहा है
देश महामारी के युद्ध से गुजर रहा है
धृतराष्ट्र ऑखे बंद किए हैं
भीष्म को कोसा जा रहा है
विदुर नीति कुछ काम नहीं कर रही है
दुर्योधन अपनी ही बात कर रहा है
कोई किसी की नहीं सुन रहा है
द्रोणाचार्य और कृपाचार्य मौन बैठे हैं
जम कर एक दूसरे का चीर हरण किया जा रहा है
वाक् युद्ध जारी है
रणनीति बन रही है
कब किसको सत्ता से बेदखल किया जाय
कब चौसर की गोटी बिछाई जाय
रुपयों और सत्ता के लालच से नेता खरिदे जाय
कर्ण और शल्य को अपनी तरफ किया जाय
मामा शकुनि को इस खेल में लगाया जाय
निष्ठा को पैसे के तराजू से तोला जाय
जो मिले उसे खरिद लो
अपनी तरफ कर लो
सुई के नोक के बराबर भी जमीन नहीं
इस हठ पर अडे रहो
विपक्ष को खत्म करो
बस अपना राज हो
नहीं कोई टोका-टोकी
नहीं कोई रोक टोक
बस हिटलर शाही हो
जब जो निर्णय ले लो
जो नियम बनाना बना लो
कोई मरता है तो मरे
यह तो उनकी नियति है
बेघर होना है तो हो
वह हमारी जिम्मेदारी थोड़ी ही है
जो पहले वाले कर गए हैं
वह उनकी है
क्यों भीष्म ने पिता की बात मानी
क्यों नेताओं ने आजादी की लड़ाई लड़ी
क्यों वह घरबार छोड़कर जेल में रहे
ऐसा नहीं करते
तब ब्रिटिश शासन होता
हम गुलाम रहते पर खुशहाल रहते
पता नहीं कब तक चलेगा यह महाभारत
तब तक तो जनता सडकों पर चल ही रही है
सुदर्शन चक्रधारी की जरूरत है
उनका भी कब आगमन
कोई नहीं जानता
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