हर उस गुरु को नमन
जिससे कुछ भी सीखा
जितना भी सीखा
क्षण भर ही सही
कुछ याद है कुछ याद नहीं
वैसे भी जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है
कभी खुद
कभी दूसरों के माध्यम से
इसकी क्लास तो अनवरत चलती रहती है
इसका अपना टाइम टेबल है
यह हमारे अनुसार नहीं चलता
जब से होश संभाला
तब से सीखना शुरू
पहले माता
फिर पाठशाला
फिर मित्र
फिर सहयोगी
फिर अडोसी पडोसी
कहाँ तक गिनाए
लंबी कतार है
प्रकृति तो सिखाती ही है
प्रकृति का कण कण
हाँ हम जान और समझ नहीं पाते
जाने अनजाने
हर किसी का आभार
जो भी जैसा भी
प्रेम से
गुस्से से
डांट फटकार से
तिरस्कार से
आलोचना से
उपेक्षा से
मान सम्मान से
अपनेपन से
प्यार से
सिखाने का तरीका अलग हो
पर सीखा तो हमने खूब
तभी एक लंबी पारी खेलते आए हैं
अभी भी बहुत कुछ सीखना है
उम्र सीखा रही है
नित नए अनुभव
पीछे देखा
तब मुस्कराहट
उन लोगों को याद कर
गुरु तो गुरु ही होता है
सब गुरू लाजवाब
जिंदगी के इस पड़ाव पर
हर उस गुरु को नमन
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