Wednesday, 2 December 2020

पडोस और पडोसी

अच्छा पडोसी
जिसे मिल जाएं
भई उसकी तो बल्ले बल्ले
पर मिलते कहाँ हैं ये जनाब
ये बहुत नायाब है
भाग्यवान होगे वे
जिन्हें यह बहूमूल्य तोहफा नसीब

इनके कई प्रकार हैं
कुछ तो हमेशा वाद - विवाद को ऊंतारू
आप मुस्कान देंगे तो ऐसी दृष्टि
आपने कुछ अपराध कर दिया हो

कुछ की दिनचर्या ही आपसे शुरू
आपके हर पल का हिसाब रखना उनके जिम्मे
आपके घर में क्या हो रहा है
कौन आ रहा है
कौन जा रहा है
यहाँ तक कि सब्जी की गंध भी सूंघ लेते हैं

कुछ ऐसे जो अंजान बने रहते हैं
न आपको जानते हैं न पहचानते हैं
बस अपने काम से काम

कुछ ऐसे हैं
जो बात तो करेंगे
खैर खबर भी लेंगे
अपनापन जताएगे
मन की बातें उगलवाएगे
फिर सारी दुनिया तक पहुंचाएगे
यही काम उनके जिम्मे

कुछ होंगे
उधार वाले
चाय पत्ती खत्म
चीनी खत्म
दूध खत्म
यहाँ तक कि खिचड़ी बनाई तो देशी घी आपका
बनिए की दुकान समझते हैं

कुछ ईष्यालु
आपका कपडा
आपका रहन सहन
आपकी तरक्की
उनको नहीं भाती
नुक्स निकालना और व्यंग बाण छोड़ने में माहिर
समय की ताक में
कब नीचा दिखाएं

अपने पडोसी से प्रेम करों
उससे अच्छा रहो
यह कहा गया है
अरे भाई । कैसे रहें
वह रहने दें तब न
हम मुस्काए तुम फुंफकार भरो
तब कैसे संभव

यही सोच कर संतोष
जब भारत का कोई नहीं
तब हमारी क्या बिसात
पाकिस्तान तो सर पर सवार
नेपाल भी सर उठा रहा
जुम्मा जुम्मा हुआ
बांगलादेश वह भी ऑखे दिखा रहा
चीन तो है ही विश्वासघाती
तब हिंदूस्तान का क्या दोष
ताली एक हाथ से तो बजेगी नहीं

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था
हम पडोसी तो नहीं बदल सकते
सीमा से सब लगे हुए

तब क्या करें
जो है जैसा है
गुजारा करना है
शांति से रहना है
तब बहुत सी बातों को नजरअंदाज करना है

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