Friday, 4 December 2020

चलो घूमआए , अतीत के झरोखो में

चलो घूम आए
अतीत के झरोखो में
कुछ याद ताजा कर लें
कुछ पुराने मित्रो को याद कर लें
कुछ अपने अजीज लोगों के मन में फिर से झांक लें

चलो अपने बचपन को फिर से खेल लें
चलो वह मस्ती और पागलपन कर लें
वह बरसात और कीचड़ में छप छप कर लें
वह गिरकर फिर उठ लें
लडाई - झगड़ा कर कुछ देर में फिर से एक हो जाए
वह चुपके से मिठाई और नमकीन खा लें
जिद पर उतर जाए तो मनाने वाले हार जाएं
चलो घूम आए , अतीत के झरोखो में

चलो घूम आए उस अल्हड़ जवानी में
बिना कारण हंसे और खिलखिलाए
किताबों में रख चुपके से उपन्यास पढे
खूबसूरत दिखने की चाह में क्या-क्या न करें
सपनों और कल्पनाओ में गोते लगा ले
वास्तविकता से दूर अपनी ही दुनिया में विचरण करें
फालतू की बातें और गपशप दोस्तों से घंटों करें
चलो घूम आए , अतीत के झरोखो में

चलो घूम आए उस उम्र के पडाव पर
जिम्मेदार हो जाए
समझदार हो जाएं
बचपन और जवानी से हटकर
कुछ अलग कर कर दिखाएं
दुनिया को अपनी मुठ्ठी में समाने की चाह रखें
चलो घूम आए उस , अतीत के झरोखो में

अब तो आ गए उस डगर
जहाँ सब कुछ छोड़
मुक्त हो जाना है
जो थे वह छूट गये
जो हैं वह धीरे-धीरे छूट रहे हैं
बस वह यादें है जो छूटती नहीं
मन अभी भी रूठता है
बचपना करने को मचलता है
जवानी अभी भी अंगडाइया लेती है
कुछ कर गुजरने का जोश अभी भी बाकी है

रिटायर जरूर हो गये हैं
जीवन अभी बाकी है
हम भी कभी बच्चे
कभी जवान
कभी अधेडावस्था की दहलीज पर कर्मठ

वही तो है
बदला कुछ नहीं
समय-समय का फेर है
सबकी राह एक ही है
सबकी मंजिल एक ही है
जहाँ तुम वहाँ एक समय मैं
तुम्हारे जगह फिर कोई दूसरा
चलो घूम आए , अतीत के झरोखो में

No comments:

Post a Comment