जग मुझको क्या कहता है
जग मेरे बारे में क्या सोचता है
इन सबसे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
फर्क तो तुमसे पडता है
तुम मुझे कितना जानते हो
पहचानते हो
समझते हो
मेरा जग तो तुम्हीं हो
तुमसे ही मेरी दुनिया आबाद
तुमसे ही जुड़ी मेरी हर खुशी
तुम्हारी नजरों से मैं स्वयं को देखती
तुम्हारा नजरिया सर्वोपरि
और सबका नजरअंदाज करती
तुम्हीं हो मेरे जग
मेरी दुनिया
तब क्यों किसी की फिकर
बस रहे इसी तरह जीकर
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