Sunday, 20 December 2020

कहना - सुनना

न तुमने कुछ कहा
न मैंने कुछ कहा
बिन बोले भी सब समझ गया
क्या कहना था तुमको
क्या कहना था हमको
सब भूल गए
बस तुमको देख मंत्रमुग्ध हो गए
अपने आप को भी भूल गए
कहना ‐ सुनना
सब धरा का धरा रह गया
बहुत कुछ सोचा था
वह सब भूल गया
बस तुम याद रह गए
शब्द ही निशब्द हो गए
क्या यही प्यार है
अपने को भी भूल जाना
होशोहवास खो बैठना
यही हाल कमोबेश तुम्हारा भी होगा
तभी हमारा प्यार भी गहरा होगा

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