Monday, 14 December 2020

शहर है तभी बेखबर है

दाल कौन सी है
काली , पीली , हरी
अरे भाई
यह तो रंग है
उनके भी नाम है
उनके भी प्रकार है
मूंग , अरहर , चना दाल
उडद , मसूर , राजमा
जमाना वह आया है
खाते तो है
नाम नहीं पता
फ्राय दाल
मसाले वाली दाल
राजमा - छोला
यही जानते हैं
एक हमारा समय
स्वाद से ही पता चल जाता
तेलहन , दलहन पता नहीं
करने चले है आंदोलन
न मसालों की पहचान
न सब्जियों की
बस कुछ की खबर
उसमें है एक मटर पनीर
न खेत और खलिहान से परिचित
न बनिए की दुकान से
माॅल और अमेजन
जहाँ दिया आर्डर
सब कुछ है हाजिर
फिर भी ठीक ही है
दुख दर्द तो समझा
मीडिया की वजह से ही सही
कुछ तो जमीनी हकीकत से रूबरू
यही कहाँ है कम
यही सच है
आज की पीढ़ी की
वह युवती हो या युवक
बहुत कम जानते हैं यह सब
शहर है न
तभी तो बेखबर है

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