कभी बीच मंझधार में मेरा हाथ न छोड़ देना
अब तक निभाया है आगे भी निभाना
तुम आगे-आगे , मैं पीछे - पीछे
चलती आई हूँ
तुम्हारा हाथ पकड़ कर सब पार करती आई हूँ
इन हाथों को कस कर पकड़े रहना
रूखसत होना हो तो पहले मुझे बिदा करना
अपनी आदत बदल देना
इस बार मुझे आगे जाने देना
तुम मेरे पीछे पीछे आना
तुम्हारे बिना तो मैं न रह पाऊँगी
तुम भी कहाँ रह पाओगे
मेरे जाने के बाद खुद ही दौड़े चले आओगे
बस इस बार मुझे आगे जाने देना
No comments:
Post a Comment