बंद ऑखों से सपने देखे थे
गहरी नींद में सपने देखे थे
तभी तो सब बिसरा दिया
सपने देखना कोई गुनाह नहीं
देखना ही चाहिए
बडे बडे सपने संजोए रखना चाहिए
सपने न देखे तब बिना सपनों के जीवन कैसा ??
हाॅ पर सपने खुली आँखों से देखें
चैतन्यावस्था मे देखें
भूलने - बिसराने के लिए नहीं
साकार करने के लिए
कोशिश और प्रयास हर संभव
जितना ऊंचा देख सकें
देखना ही है
सपनों के संसार में जम कर गोते लगाना है
डूबना - उतराना है
डूबे तो डूबे
डूब कर फिर उतरे
यह तो होना ही है
सपनों बिना जीवन ही सूना
सपने न देखे तब बिना तब बिना सपनों के जीवन कैसा ??
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
No comments:
Post a Comment