तुमसे ही शुरू
तुम पर ही खत्म
मेरी दुनिया तुम्हारे ही इर्द-गिर्द
तुमसे ही यह सुहावनी सुबह
यह मनभावनी संध्या
यह उजाला
यह अंधेरा
जब जब घना कोहरा छाता है
तब तब तुम याद आते हो
तुम्हीं आशा
तुम्हीं विश्वास
तुमसे ही संसार
तुम नहीं तो जग सून
तुम्हारे साथ तो अकेले भी काफी
बिना तुम्हारे भीड़ में भी अकेले
पतझड़ में भी वसंत
जब साथ हो तुम्हारा
तुमसे ही मैं
तुममें ही मैं
तुम्हारे बिना कोई नहीं असतित्व
तुमसे ही शुरू
तुम पर ही खत्म
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