कोई कहता पागल
कोई कहता बेवकूफ
समझ न पाएं लोगों को
ये दुनिया के सयाने
जिसने भी कुछ अलग किया
उस पर तोहमत लगा दिया
खुद तो कुछ किया नहीं
औरों के राह का रोड़ा बन रह गए
क्या हासिल होता है
इन सयाने बेवकूफों को
जिनके पास जिगर ही न हो
कुछ कर गुजरने का जज्बा ही न हो
लीक से अलग हटना जानते ही न हो
ये नव निर्माण नहीं विध्वंस करना जानते हैं
राह का रोड़ा बनना आता है
ऊंगली उठाना आता है
निंदा से सराबोर ये समाज के नायाब जीव
जगह - जगह दर्शन दे जाते हैं
दूसरों को पागल और बेवकूफ समझने वाले
कितने सयाने है यह तो वे ही जाने
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