आसपास हरियाली हो
हाथ में गरम - गरम चाय की प्याली हो
बरामदे में सुनहरी धूप हो
साथ में पक्षियों की चहचाहट हो
न कोई शोरगुल
न कोई काम की चिंता
न कोई खटर - पटर
न किसी की टोका-टोकी
अपनी मर्जी हो
आसपास नहीं किसी का आवास हो
बस प्रकृति का सानिध्य हो
पेड़ो की झुरझुराहट
हवा की सरसराहट
फूलों की मुस्कराहट
झरने की झरझराहट
नहीं किसी की गुर्राहट
नहीं किसी की आहट
ऐसा जहां मिल जाएं
तब मजा आ जाएं
जीवन के कुछ लम्हे और बढ जाएंगे
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