जिस माँ की कोख से तुमने जन्म लिया
मैं भी तो उसी माँ की कोख से जन्मा हूँ
जो ईश्वर तुम्हारा है वही तो मेरा भी है
बनाने वाले ने तुम्हें भी बनाया
मुझे भी बनाया
तुम्हें नर और नारी बनाया
मुझे किन्नर बनाया
शरीर तुम्हारे पास भी
मेरे पास भी
दिल मेरा भी धडकता है
भावना मेरे पास भी है
गम और खुशी मुझे भी होती है
मैं तुम जैसा ही मनुष्य हूँ
तब मेरी अपेक्षा क्यो ??
माँ की कोख तो कुम्हार के आवा के समान होती है
पकने के बाद सबका अलग-अलग रूप
कोई काला कोई गोरा
कोई टेढा मेढा कोई कच्चा पक्का
इसमें तो उस माँ का कोई दोष नहीं
नौ महीने तो उसने मुझे भी जतन किया
जन्मने के बाद पता चलने पर तिरस्कृत
बहिष्कृत भी
मेरे जन्म पर न लड्डू बंटे न सोहर गाया गया
बल्कि सबके मुख उतर गए
बताने में भी हिचकिचाहट
क्या हुआ है
बेटा या बेटी
दोनों में से मैं कुछ भी नहीं
फिर वजूद क्या मेरा
बोझ हूँ क्या ??
नहीं बहुत हो चुका
अब तो रहकर साबित करना है
मैं केवल नाच - गाकर
घर - घर जाकर
ढोलक बजाकर
जीविका चलाने के लिए नहीं बना हूँ
जन्म तो लिया हूँ तब उसको सार्थक करूंगा
किन्नर होना अभिशाप नहीं
न इसमें मेरा दोष
न मेरे माता - पिता का
वे भी गर्व से कहें
यह हमारी संतान है
बस कुछ विशेष है
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