किस्मत और काबिलियत
कौन है बलशाली
किस्मत का धनी जो ठहरा
सारा सुख उसके कदमों में पडा
काबिलियत जिसके अंदर समाई
सारा संसार उसका कायल हुआ
किस्मत किसी की देन
काबिलियत स्वयं की उपलब्धि
किस्मत कब साथ छोड़ दे
यह तो कोई नहीं जानता
काबिलियत हमेशा परचम फहराएंगी
सफलता के कदमों को चूमेगी
किस्मत हो या न हो
काबिलियत जरूर हो
इस कदर स्वयं को काबिल बनाओ
सारा जमाना काबिले-तारीफ करें
किस्मत से ईष्या हो सकती है
काबिलियत से नहीं
परिश्रम का फल है वह
व्यर्थ नहीं जाता
सौगात तो देता ही है
सौभाग्य बना देता है
नजरों मे चढा देता है
लोहा मनवाता है
तभी तो खुद को ही बुलंद करना है
वह किस्मत से नहीं काबिलियत से होगा
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