जलेबी टेढी ही सही
है तो रसभरी
मुंह में डालते ही कब अंदर
क्रिसपी और रस में डूबी
नरम हुई तो मजा नहीं
लुजं - पुंज जैसी
वह स्वाद नहीं
कडी हो और मीठी हो
यह एक विरोधाभास
वैसे ही इंसान का भी
भले कठोर हो पर मीठा हो
तभी कठोरता शोभा देती है
कर्मठ हो , तपा हुआ हो
आलसी , निकम्मा हो
तब भले नम्र हो कितना भी
वह शोभित नहीं
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