आज जाने क्या बात हुई
लेखनी तो चली ही नहीं
देखने का मौका
लिखने का मौका
कुछ भी नहीं हुआ
मन कुछ विचलित हुआ
आदत जो पड गई है
जब तक लिखूं नहीं
तब तक चैन नहीं
एक सुकून मिलता है
कुछ कहना
कुछ सुनना
कुछ लिखना
कुछ पढना
कुछ देखना
कुछ महसूस करना
इसलिए तो पांचों इंद्रियाँ है
वह हमें मनुष्य होने का आभास दिलाती है
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