Sunday, 11 April 2021

बना रहूँ तुम्हारे ऑख का तारा

माँ, जो बनूॅ गगन का तारा तो जगमगाने का बडा मजा
पर मैं तो बनना चाहूँ तुम्हारी ऑख का तारा
माँ, जो बनूॅ मोर एक छोटा , तो नाचने का बडा मजा
पर मैं तो चाहूँ तुम्हारे ही इर्द-गिर्द डोलना
तुमको नाच नचाना , मैं आगे तुम पीछे - पीछे
माँ , जो बनूॅ छोटी फूल बेल , तो महकने का बडा मजा
पर मैं तो चाहूँ तुम्हारी गोदी का फूल बनना
तुम्हारे घर - आंगन में महकना
माँ , जो  बनूॅ एक कोयल काली , तो कूकने का बडा मजा
पर मैं तो चाहूँ तुम्हारी थपकी की थाप पर गुनगुनाना
माँ , जो बनूॅ छोटी - सी नाव , तो तैरने का बडा मजा
पर मैं तो चाहूँ तुम्हारे हाथों से टब में बैठकर नहाना
माँ , जो बनूॅ छोटा - सा बछडा , तो कूदने का बडा मजा
पर मैं तो चाहूँ अपने ही सोफे - बेड पर कूदना

नहीं मैं चाहूँ
गगन , मोर , फूल , कोयल , नाव  और बछडा बनना
मैं तो चाहूँ बस तुम्हारी गोदी
तुम्हारा प्यार - दुलार
मुझे नहीं बनना ये सब
बस बना रहूँ तुम्हारा कृष्ण - कन्हैया
तुम्हारा मार तुम्हारा थप्पड़ वह भी लगता है
फूलों सा  कोमल
तुम्हारी गोदी तो स्वर्ग से भी न्यारी
तुम्हारे हाथ की रोटी भी लगती बहुत प्यारी
तुम्हारा डांटना तो लगता है कोयल का कुहकुहाना
बस सब साथ तुम्हारा , गोद तुम्हारी
स्वामी तीनों लोक का हो पर माँ बिना भिखारी
बस अपने प्यार की सौगात देते रहना
कभी अपने से दूर मत करना
मैं आॅख का तारा तुम्हारा
चमकता रहूँ बनकर ध्रुव तारा

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