Wednesday, 19 May 2021

बस याद ,याद रह जाएंगी

आज वे चली गई
उस दुनिया  में  जहाँ  से कोई  लौटता नहीं
जाते - जाते बहुत  सा सवाल छोड़  गई
न कुछ  ले गई बस अकेले  ही चली  गई
हाॅ अपनी यादें  अपना व्यवहार  छोड़  गईं
जाने के बाद लोग याद कर रहे हैं
इतनी  कर्मठ थी
पूरा दिन काम करती थी
चला नहीं  जाता था तब भी कुर्सी या स्टूल पर बैठ  कर
टहलने  जाती थीं  लाठी लेकर
रास्ते में  मिलती थीं
नमस्कार  करने पर मन  भर आशीर्वाद
जिसके साथ जैसा किया उस तरह से स्मरण
समाज  में  रहना है संसार  में  रहना है
तब बहुत  कुछ  चाहा - अनचाहा  कहना पडता है
सुनना पडता है सुनाना पडता है
कोई  यहाँ  देवता नहीं  होता
जाने  के बाद  रस्में पूरी करना
घाट नहाना ,दशवा, तेरवां
सब अदायगी हुई
लोगों  ने छक कर  खाया
कढी - बरी , पुरी - सब्जी , चावल - पुलाव
घुघरी- रस ,चाय - काॅफी
ऐसे लगा जैसे  जश्न  है
जाने वाले के नाम  पर पेट भर खाना
चाहे घर की परिस्थिति  कैसी भी हो
समाज  का बंधन है
लगता है
एक तरह से भूलने - भुलाने  की  कोशिश
सब बैठेंगे
जमा होंगे
बातचीत  करेंगे
रिशतेदारों  का जमावड़ा  होगा
पहले दिन जो माहौल रहता  है
तेरहवीं  तक आते-आते  बदल जाता है
लोग रो - धोकर  फिर नार्मल
और सही भी है
कब तक शोक मनायेगे
कब तक खाना नहीं  खाएंगे
कब तक काम  नहीं  करेंगे
जानेवाला  तो चला गया
दूसरों  को  अभी जीना है
जीवन निर्वाह  करना है
आखिर  जो गया है वह भी तो कर्तव्य  निर्वाह  करते
याद  करेंगे  अपने
दूसरे भी कभी-कभी
जब बात याद आएगी
व्यवहार  याद आएगा
बस याद ,याद ही रह जाएंगी

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