Friday, 2 July 2021

प्यार जिसे कहते हैं

वह पसंद ही क्या
जिसके लिए अपनी पसंद बदलना पडे
वह मोहब्बत ही क्या
जिसमें स्वयं को मिटाना पडे
वह साथ ही क्या
जिसमें अपना असतित्व न बचे
तुम जो हो
जैसे हो
हर रूप में स्वीकार हो
तुम्हारी हर हरकत पर प्यार आता हो
तुम्हारी गलती भी नजरअंदाज हो जाती हो
तुम्हारे लिए सब छोड दे
सारी दुनिया का विरोध स्वीकार कर ले
तुम्हारा मान - सम्मान की जवाबदेही ले
कुछ भी करने को तैयार हो
जान भी दे सके समय आने पर
तब वह प्यार है
जिसमें समर्पण हो
त्याग हो
स्वतंत्रता हो
जीने की आजादी हो
कोई प्रतिबन्ध न हो

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