प्रेम केवल प्रेमी करें ऐसा जरूरी तो नहीं
पति भी करता है हाँ वह इजहार नहीं करता
हो सकता है वह उपहार नहीं देता
हो सकता है वह फूलों के गुलदस्ते नहीं देता
हो सकता है वह लच्छेदार भाषा नहीं बोलता
हो सकता है वह मनुहार नहीं करता
फिर भी वह प्यार तो करता है
उसका साथ ही काफी है गुरुर के लिए
वह छुप - छुप कुछ नहीं करता
जो है जैसा है डंके की चोट पर करता है
पत्नी के स्वाभिमान की रक्षा
सात फेरों का वचन वह बखूबी निभाता है
कमाता वह है जेब खाली उसकी रहती है
पत्नी घर पर राज करती है वह बस काम करता है
सारे ऐशो-आराम पत्नी और बच्चे
वह ऑफिस और दुकान में खटता है
पत्नी और बच्चों के ढेरों कपडे
वह दो - तीन कपडों में गुजारा करता है
उसकी ख्वाहिश पूरी होने का सवाल ही नहीं
वह परिवार के ख्वाहिशो को पूरी करने में लगा रहता है
पूर्ण समर्पित होता है
अपने को मिटाता है
फिर भी सुकून से रहता है
जिम्मेदार बना रहता है
उसके ऊपर किसी दूसरे का अधिकार
यह भी वह भलीभांति समझता है
फिर भी ऊफ नहीं करता
और क्या करेंगा प्रेमी जो वह नहीं करता है
दिखावट नहीं असलियत में रहता है
तभी तो यह सबसे अटूट बंधन कहलाता है
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