जीवन की संध्या पर
एक साथी का होना जरूरी है
जब तक सांस चलती है
तब तक जरूरत भी चलती है
जब तक आप जवान है
कोई गम नहीं
जब उम्र ढलती है
तब साथ छूटने लगता है
दोस्तों के , रिश्तेदारों के
यहाँ तक कि अपने बाल - बच्चों के भी
गलती किसी की नहीं
वक्त का तकाजा है
जब हमारा अपना शरीर ही साथ नहीं दे रहा हो
तब दूसरे से अपेक्षा कैसी
बस एक साथी हो
पल - पल का भागीदार हो
सुख दुख साथ काटे
बीमारी हारी में खडा रहे
बस और कुछ नहीं चाहिए
No comments:
Post a Comment