मत किसी को कम समझा करें
जरूरी नहीं जो आज है वह कल भी हो
मौसम बदलता रहता है
मनुष्य की किस्मत भी बदलती रहती है
भिखारी को राजा और राजा को भिखारी
कब यह किस्मत बना दे
यह तो कोई नहीं जानता
अर्श से फर्श
फर्श से अर्श तक कब कौन पहुँच जाएँ
कहा नहीं जा सकता
सम्मान न करें तो अपमान भी न करें
कम मत आंके
नहीं तो सामने पडने पर आप ही शर्मशार हो जाएंगे
इंसान को इंसान ही समझे
उससे वैसा ही व्यवहार
जैसा आप अपने लिए चाहते हैं
भले वह बडा अफसर हो
आपके घर का नौकर ही हो
व्यवहार सावधानी और सोच समझ कर करें।
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