Friday, 3 September 2021

प्रकृति रानी

नीला आसमान
हरी - भरी धरती
सुहाना शमा
रिमझिम बरसात
मन में लहराती उमंगे
बच्चों जैसा मचलता दिल
मन है आह्लादित
सब कुछ भूलकर
प्रकृति के सौन्दर्य में कैसे न खो जाएं हम
प्रकृति रानी हर्षित है
हमें भी हर्षाती है
हमारा और इसका
एक अटूट है नाता
वह तो हमारा ख्याल रखती है
बिन मांगे न जाने कितनी खुशियाँ देती है
तब हमारा फर्ज बनता है
इसके किसी अंग को हानि न पहुंचे
यह खुश तो हर मौसम खुशगवार

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