Tuesday, 19 October 2021

हमने किया ही क्या है

कभी-कभी ऐसा लगता है
हमने किया ही क्या है
लगता है नहीं सुनता भी है
तब क्या बताएं
क्या किया है
स्वयं को रूलाकर हंसी खरीदी है
हसरतें मिटाकर सबको यहाँ पहुँचाया है
स्वयं को मिटाकर परिवार बचाया है
बंजारे जैसा जीवन जीकर घर बनाया है
न जाने कितनी बार मरकर सबको जीना सिखाया है
न किसी से गिला न किसी से कोई शिकवा
जिस हाल में मिली जिंदगी
उसको जीने लायक बनाया है
स्वयं को अंधेरे में रख प्रकाश का निर्माण किया है
रास्ते की तमाम रूकावटो के बावजूद
जिंदगी को इस मुकाम पर पहुंचाया है
फिर भी सब कहते हैं
हमने किया ही क्या है

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