सबने राम को याद किया
रावण को याद किया
लंका विजय के भागीदार रहें
उस युद्ध के सहयोगी बंदर और भालू
वह कहीं गुम हो गए
विभिषण, कुम्भकर्ण, मेघनाथ भी याद आए
यही तो होता है
सेहरा जीत का किसी एक के सर पर
और दूसरे गुमनामी में
गांधी राष्ट्र पिता बनें
उस स्वतन्त्रता की लडाई में
न जाने कितने गुमनाम
जिनका योगदान इतना कि
आजादी मिलती ही नहीं
अगर वे न होते
सब भूल जाते हैं
भूला दिए जाते हैं
समाज हो
परिवार हो
राष्ट्र हो
कौन याद रखता है
इन नींव की ईटों को
जिनके ऊपर यह बुलंद इमारत खडी है
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