Friday, 29 October 2021

ऐसा - वैसा के चक्रव्यूह में उलझा जीवन

लगता है कभी-कभी
ऐसा होता तो
वैसा होता तो
यह होता
वह होता
यही तो पते की बात है
जो हम चाहते हैं
वह तो होता नहीं
बनिस्पत और कुछ हो जाता है
हम ऐसा - वैसा के चक्रव्यूह में गोते लगाते रहते हैं
उलझा रहता है जीवन
सब कुछ करने की कोशिश  करते रहते हैं
होता कुछ नहीं
होइए वहीं जो राम रचि राखा

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