कोई मुझे पढे या न पढें
कोई मुझे देखे या न देखें
बस जिसकी रचना हूँ
वह मुझे देखें
समझे
चिंतन मनन करें
दाद दे
जो कुछ लिखें
मन से लिखें
भावना से सराबोर हो लिखे
बडे बडे साहित्यिक शब्दों का प्रयोग भले न हो
सीधा - सादा और सबकी समझ वाला हो
अलंकार रहें तो चार चाँद
न रहे तो भी कोई बात नहीं
जो भी उकेरा हो
वह मन से उकेरे
कागज और कलम सोच - समझ कर चलाए
मैं शब्द हूँ
मैं चाहता हूँ
आप जब भी लिखों
पूर्ण समर्पण भाव के साथ
कुछ भी लिखना है
इसलिए नहीं
किसी दूसरे का चुराकर
उसकी नकल कर
तोड़ मरोड़ कर नहीं
स्वयं की भावना
स्वयं की रचना
मेरा भी आत्मसम्मान है
वह आप नहीं देंगे तो फिर कौन
यही तो मेरी गुजारिश है
आप मुझे सम्मान दे
मैं आपको साहित्य जगत में सम्मानित करूंगा
मै शब्द
आपका हमराज
आपका मित्र
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