करवा चौथ क्या मेरा चांद तो हर दिन मेरे लिए खास है
उसके बिना तो कुछ भी नहीं
उसी के कारण मेरे चेहरे पर रहती है चमक बरकरार
उसी की शुभ्र चांदनी में रहता है जीवन शीतल
अंधकार का साया भी नहीं पडने देना चाहता अपने चांद पर
कभी न उसके जीवन में अमावस आए
हमेशा पूर्णिमा की तरह खिला - खिला चेहरा रहें
जिसे मैं निहारता ही रहूँ
घटना - बढना ,ग्रहण यह सब तो आम बात है
जीवन है तो यह सब होगा ही
बस साथ न छूटे
हर वक्त सामने रहें
मेरी सांसों में
मेरी रग रग में
मेरे जीवन की बगिया में महका करें
मेरा चांद कोई मामूली नहीं
मेरे दिल में बसता है
वह हर दिन हर पल
मेरे लिए खास है ।
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