कब तक लोग मरेंगे
कब तक किसान की समस्या हल होगी
यह कैसा लोकतंत्र है
कबसे चल रहा यह सब
कभी हार्ट एटैक से
कभी भूख से
कभी गाड़ी से कुचल कर
जान जाती रहेगी
उस पर राजनीति होती रहेगी
कोई अनशन तो कोई सहानुभूति
नेताओं की रैलियां
पक्ष और विपक्ष का एक - दूसरे पर दोषारोपण
क्या इस समस्या का हल नहीं
इस हलधर की मांग क्या जायज नहीं
क्या उचित क्या अनुचित
यह तो पता नहीं
पर कहीं तो कुछ है
उस पर संज्ञान ले
जल्द से जल्द इसका निवारण हो
किसान खेत में शोभा देते हैं
सडक पर बैठे नहीं
इनके हाथ में हथियार शोभा नहीं देता
कुदाल और खुरपी अच्छी लगती है
पिस्तौल और तलवार नहीं
सबकी चिंता करने वाला
सबका पेट भरने वाला
मौसम की मार सहने वाला
आज ऐसी अवस्था में क्यों?
इसका जिम्मेदार कौन ?
इनके प्रश्नों का उत्तर क्या ?
इनकी परेशानियों का समाधान क्या ?
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