Monday, 15 November 2021

कहाँ दीया जलाए

हर जगह उजाला
घर में
मंदिर में
द्वार पर खिड़की पर
रसोंईघर
गुसलखाना
पीपल का पेड
बरगद का पेड़
कोई कोना ऐसा नहीं जहाँ दीया न जला हो
दीप न जगमगाएँ हो
रोशनी जब हर जगह
तब दिल भी तो रोशन हो
अंधकार को दूर करों
बरसों से जो संचित है जेहन में
किसी की बातें
किसी का व्यंग
किसी का दुर्व्यवहार
सालती है हर वक्त
उसको निकाल फेंके
अच्छी सोंच को जगह दे
भूल जाए
क्या हुआ था
क्या नहीं
अंधकार में रहकर क्या फायदा
स्वयं को ही दर्द
जब जीवन स्थायी नहीं
तब सोच क्यों ??
उसको अपने साथ थोड़े ले जाना है
न उसको अमर बनाना है
उस कोने से बाहर निकले
रोशन करें
यह हमारे हाथ में है
कहाँ दीया जलाए
कहाँ नहीं
तब मन के हर कोने को साफ कर
वहाँ दीया जलाए
अपने जीवन को अंदर - बाहर दोनों तरफ से रोशन करें

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