कौन किसको याद रखता है
यह मतलबी दुनिया है
बहुत नसीब वाले होते हैं वे
जिन्हें सच में अपने मिलते हैं
अपने कहने से कोई अपना नहीं होता
बात करने से कोई साथ दे , ऐसा नहीं होता
संबंध निभाते रहें
हर संबंध कसौटी पर खरा उतरे
ऐसा इस दुनिया में नहीं होता
कहने को तो सब तेरे अपने हैं
नाते - रिश्तेदार, भाई - बंद
अडोसी - पडोसी
जो दुख - दर्द में काम न आता
वह अपना क्या पराया क्या
हंसने को हो तो
सब हंस लेंगे
घाव पर नमक छिड़कने का काम भी कर लेंगे
मरहम जो न लगा सके
दिल के मर्म को जो न समझ सके
अपने की तकलीफ में सहभागी न हो सके
तब वह रिश्ता है दिखावट का
अपना कहने से अपना नहीं हो जाता
ऐसा नहीं सब ऐसे ही है
हाँ ज्यादा तर ऐसे ही हैं
आपके मुख पर सहानुभूति दिखाई
पीठ पीछे निंदा में कोई कसर न छोड़ी
आपकी इज्जत को सरे आम उछाला
नादान इस तरह बने
मानों हकीकत से अंजान हो
ऐसे को कैसे कहें अपना
सच है न
अपने कहने से कोई अपना नहीं होता।
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