Friday, 26 November 2021

मरेंगे पर नहीं सुधरेंगें

जितना जिसको खाना है
जितना जरूरी है
वह ही लेना है
कुछ बाकियों के लिए भी छोड़ देना है

चींटी दाना लेकर चलती है पूरे झुंड के साथ
चिडियाँ दाना चुगती है अपने और अपने कुटुंब के लिए
गाय चारा खाती है
बकरी घास
जब पेट भर जाता है तब छोड़ देते हैं
तब मुड़कर भी नहीं देखते

हम मनुष्य खाते है भर पेट
प्लेट में भरते हैं ठूस ठूस कर
कूड़ेदान में जाता है
सडता है
गंदगी पैदा होती है
बीमारियों का घर
बदबू से सांस लेना मुश्किल

फिर भी भरेगे
मरेंगे पर नहीं सुधरेंगें
पेट हो या कूड़ेदान

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