कितना असहाय हो जाता है आदमी
जब बुढ़ापा घेर लेता है
शांत न बैठने वाला व्यक्ति
इधर-उधर डोलने वाला व्यक्ति
जोर जोर से चिल्लाने वाला व्यक्ति
किसी की बात न सुनने वाला
अचानक चुप हो जाएं
तब सचमुच बुढापा आ गया
आज एक ऐसे शख्स से मिली
जो बहुत प्रेमल स्वभाव के
रिश्ते में चाचा हैं
बहुत दिनों के बाद मिलना हुआ
घर के सब लोग बात कर रहे थे
वह भी कर रहे थे
पर हमारी सुन और समझ नहीं पा रहे थे
मुझे पता चल रहा था पर अंजान बन रही थी
अचानक पीडा बाहर आ ही गई
क्या करू और क्या बोलूं
जब सुन ही नहीं पाता हूँ
बहुत लाचार हो गया हूँ
याद आया हमारी माता जी भी कम सुनती है
पर स्वीकार करने को तैयार नहीं
मशीन लगाने को तैयार नहीं
साथ रहने वाले को जोर जोर से चिल्लाना पडता है
इतना कि वह आदी हो जाता है
अचानक वह धीरे से कहती है
इतना चिल्ला क्यों रही है
तब अपने पर ही कोफ्त हो जाती है
यह समय है
किसी को नहीं छोड़ता
सबको किसी न किसी रूप में अपने फंदे में जकड़ ही लेता है
कभी लाठी का सहारा
कभी कान की मशीन
कभी दांत का डेंचर
कभी ऑख का चश्मा
कभी घुटनों पर नी कैप
और न जाने क्या क्या
जब अपना ही शरीर अपना साथ छोड़ना शुरू कर देता है
वह अनुभव कितना दुखदायी
समय सबकी बोलती बंद करा देता है
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