लडका होना आसान नहीं
कहने को तो घर का लाडला
होता है जिम्मेदारियों से भरा
घर में कोई मेहमान आए
उसको लाने और ले जाने का काम
नाश्ता- मिठाई की दुकान पर जाना
खडे रह नाश्ता - पानी करवाना
नाज - नखरे उठाना
युवा बहन को की सुरक्षा का भार
उसकी शादी में बाहर खडे रहकर मेहमानों का स्वागत
उसकी ससुराल में बार-बार भेट करने जाना
तीज - त्यौहार पर सौगात लेकर जाना
रिश्ते- नाते की शादी - ब्याह, मरनी- जीनी अटैन्ड करना
अचानक धनिया - मिर्ची और दही खतम तब दुकान जाना
यह तो हुआ ही
कहीं गली - नुक्कड़ पर बैठना नहीं
मटरगश्ती नहीं करना
नहीं तो आवारा कहलाना
सर नीचे कर आओ और जाओ
माता-पिता की इज्जत का ध्यान रखो
नाम रोशन करने की जिम्मेदारी भी उसकी
बेकार नहीं बैठ सकता
नहीं तो घर वालों के साथ समाज के भी ताने
काम करना है
अपने पैरों पर खडा होना है
घर संभालना है
सब करना है
और सबसे दब कर रहना है
फिर वह कोई भी हो
बहन हो माँ हो पत्नी हो
हर किसी की जरूरत पूर्ण करने की जिम्मेदारी
कर्तव्य की बलिवेदी पर जो चढता है
वह होता है लडका
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