Wednesday, 24 November 2021

बस अपने से दूर मत करना

पतझड़ का मौसम आया है
पेड से पत्ते झड रहे हैं
थोड़े दिन में ठूंठ सा हो जाएंगा
रौनक खत्म
फिर मौसम का इंतजार
निराश है  यह सोचकर

तभी पेड से लिपटी लता बोल पडी
अरे मैं तो हरी भरी हूँ
तूने आसरा दिया है
सहारा दिया है
तब मैं कैसे रौनक़ कम होने दूंगी
जी भर कर फैलूगी
हरियाली से भर दूंगी
कभी तूने सहारा दिया था
उसके एवज में इतना तो बनता है
अभी भी आश्रित हूँ
फल - फूल रही हूँ  तेरी कृपा से
बस अपने से दूर मत करना

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