चाटुकार - चापलूस
जिसको चापलूसी आ गई
वह जिंदगी में सफल हो गया
जो मुकाम हासिल करना हो
जहाँ और जिस तक पहुँचना हो
सब संभव हो सकता है
बस तलवे चाटना आता हो
पीछे पीछे घूमना आता हो
हाँ में हाँ मिलाना आता हो
घुटने टेकना आता हो
झूठी प्रशंसा करना आता हो
सही को गलत और गलत को सही कहना आता हो
अगर यह सब गुण हो
तब तो फर्श से अर्श तक पहुंचा जा सकता है
सत्ता के शीर्ष पर पहुंचा जा सकता है
यह कोई साधारण कला नहीं है
इसे सीखने के लिए बहुत मशक्कत करनी पडती है
अपना जमीर मारना पडता है
अपना मान - सम्मान दांव पर लगाना पडता है
डाट मिले या जूता
सबके लिए तैयार
जीवन खफाना पडता है
तब जाकर इसका फल मिलता है
बहुत महत्वपूर्ण होता है चापलूस आदमी
यह चाहे तो आपका काम मिनटों में करा सकता है
यह सबसे करीबी होता है
मालिक का , बाॅस का ,नेता का ,मिनिस्टर का
पुराने जमाने में भी राजा के चापलूस रहते थे
जो उनकी प्रशंसा में कसीदे काढते थे
उनका मनोरंजन भी करते थे
आज भी वही स्थिति है
दरबार तो दरबार ही होता है
राजा का हो या नेता का हो या किसी और का
यह सबसे बडा खबरी भी होता है
तब इससे खबरदार रहें
पता नहीं क्या और कब करें
चापलूस से बनाए दूरी
इसमें ही सबकी भलाई
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