हम जिंदगी में बहुत अनुशासित रहे
ईमानदार रहें
वक्त के पाबंद रहे
परिवार के प्रति समर्पित रहे
अपनों के साथ वफादार रहे
काम के प्रति निष्ठावान रहे
दोस्तों और साथियों के साथ प्रेमल रहे
माता - पिता के प्रति आज्ञाकारी रहे
बच्चों के प्रति कर्तव्य वान रहे
ईश्वर में आस्था रही
देशभक्ति भी कण कण में रही
एक अच्छा नागरिक रहे
तब भी हम परेशान
किसी न किसी का व्यंग बाण
किसी न किसी का दोषारोपण
हम ईमानदार बदले में मिली बेईमानी
क्या हश्र हुआ इसका
अच्छा बना रहने का
मन में सुकून है
हमने धोखा भले खाया किसी को धोखा नहीं दिया
जब शीशे के सामने खड़े होते हैं
तब हमारी अंतरात्मा धिक्कारती नहीं
ऊपर वाले को क्या जवाब देना पडेगा
यह नहीं सोचना है
सच्चे और अच्छे मन से इस दुनिया से रूखसत होना है
बस इससे ज्यादा कुछ नहीं।
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