सोनपापडी है तू बिल्कुल सोने सी
हलवाई की दुकान ही नहीं
किराना की दुकान और माॅल पर भी हाजिर
नहीं होती जल्दी तू खराब
टिकाऊ है
स्वादिष्ट भी
जेब पर भी ज्यादा नहीं भारी
दिखने में भी खूबसूरत
हल्दीराम , घसीटाराम जैसे दिग्गज उत्पादकों के साथ - साथ लोकल वाले भी
घरेलू से लेकर ब्रांडेड तक
बच्चों को तो तू है ही प्यारी
बुढिया के बाल से मिलती - जुलती
नर्म और मुलायम
मुंह में जाते ही घुल जाती
पहले से ही है तेरा असतित्व
आजकल हो गई है और ज्यादा प्रसिद्ध
कुछ समझ न आए
किसको क्या दे
सोनपापडी तुरंत हाजिर
इतना ही नहीं
एक घर से दूसरे घर का चक्कर लगाती है
कभी-कभी उसी के पास लौट आती है जिसने इसे किसी को दिया था
आजकल इस पर बहुत जोक्स बन गए हैं
हंसते हैं
फिर भी मिठाई तो मिठाई है
मुंह मीठा कराती है
रिश्तों में मिठास भरती है
कुछ न दे इससे तो भली सोनपापडी
और मिठाईयाँ तो त्योहार तक ही सीमित
पर हमारी सोनपापडी हर वक्त
ऐसे ही इसका नाम नहीं है सोनपापडी
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