Friday, 26 November 2021

तब कैसे होगी नजदीकी

मैं  पिता हूँ
इसीलिए कठोर हूँ
मेरा प्रेम नजर नहीं आता
बस माँ का आता है
बच्चे उसी के करीब
मुझसे दूर दूर
बात करने में भी कतराते हैं
फोन माँ को करते हैं
उसी से मेरा हाल-चाल जान लेते हैं
मैं तरसता हूँ
माँ- बेटे मजे ले लेकर बातें करते हैं

मैं तो कमाने में व्यस्त रहा
माँ उनके करीब रही
पैसा मैंने कमाया
घर मैने चलाया
छत मैंने बनाया
भूख मैंने मिटाई
इच्छा मैंने पूरी की
तब भी करीब न रह पाया

यह तो होना ही था
उसी की कोख में पला
गर्भ से लेकर अब तक पास पास
मैं रहा दूर दूर
तब अब कैसे होगी नजदीकी

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