मिलने से पहले मैं , मैं थी
वे भी वे थे
उनसे मिलकर हम हो गए
दोनों अलग-अलग होकर भी एक हो गए
उनसे मिलना क्या हुआ
सब कुछ बदल गया
पहले जो लगती थी नीरस
अब वह भी लगने लगी सरस
बिना कारण के हर बात पर हंसी आने लगी
सारा जग खूबसूरत लगने लगा
आईने को देख सजने और संवरने लगी
बेकार की बातें जो लगती थी
अब वह करने में भी मजा आने लगा
हमेशा एक मस्ती और खुमारी छाने लगी
केशों को खोल लहराना अच्छा लगने लगा
उनका साथ और हाथ में हाथ डाले घूमना
ऑखों में शर्म- हया
बात बात पर शर्माना
नजरें झुकाना
उनका इंतजार
सब मनभावन लगने लगे
उनकी पसंद मेरी पसंद मेरी पसंद उनकी पसंद
हम एक - दूसरे के होकर रह गया
उनमें ही सारी दुनिया दिखने लगी
हरियाली और भी मनमोहक लगने लगी
फूलों की खुशबू समान उनकी भी खुशबू आने लगी
कोयल की कूक और कौए की कांव कांव दोनों ही भाने लगी
जाडा ,गर्मी, बरसात हर मौसम सुहावना लगने लगा
वो क्या मिले सब कुछ बदल गया
उनसे मिलना क्या हुआ
जीने का मकसद मिल गया
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