कुछ तो बात है
कहीं तो रिक्तता है
कुछ तो टूटा है
कुछ अंदर दरका है
नहीं तो यह ऑसू ऐसे ही नहीं आते
मन उदास नहीं रहता
चेहरे पर मायूसी नहीं रहती
कुछ तो है
जो दिखाई नहीं दे रहा है
समझ नहीं आ रहा
जान नहीं रहे
जान कर भी अंजान बन रहे
जबरदस्ती मुस्कराने की कोशिश
हंसने की कोशिश
आखिर वह भी कितनी देर
कब तक छुपेगा
हंसते हंसते भी ऑंखें नम
इसमें बहुत गहरा राज छिपा है
जो दिखाई दे
वही है ऐसा जरूरी तो नहीं ।
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