बेटा पराया नहीं अपना है
समझने का बस फेर है
वह तो जिगर का टुकड़ा है
पराया कैसे हो सकता है
मजबूर हो सकता है पराया नहीं
उसके भी अपने सपने हैं
अपनी महत्वाकांक्षा है
अपनी जरूरतें हैं
अपना व्यक्तित्व है
अपनी निजी जिंदगी है
जन्म दिया है इसलिए उससे ज्यादा अपेक्षा
यह तो कोई बात नहीं
वह अपना है अपना ही रहेंगा
जहाँ रहें जिसके साथ रहें
बस खुश रहें
अपनी जिम्मेदारी को समझें और निभाएँ
कर्तव्य शील और कर्मठ हो
जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो
आपका आदर और सम्मान करें
सुखी और खुशी रहें
और क्या चाहिए
बच्चों की खुशी में ही तो माता - पिता की खुशी
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