किसी ने मुझे आवाज दी
मैंने अनदेखा कर दिया
पता नहीं वह क्या कहना चाहता हो
कौन सी अंतर्मन की व्यथा को व्यक्त करना चाहता हो
मन तो सबके सामने खोल नहीं सकते
अपनी पीड़ा को रख नहीं सकते
कितना विश्वास होगा
जो तुमको अपना हमदर्द समझा होगा
कभी-कभी बिना कहे और बिना सुने भी बात बिगड़ जाती है
तब लगता है
अरे वह उस दिन कुछ कहना चाहता था
मैंने सुन लिया होता तो
यह पछतावा तो रह ही जाता है
कभी किसी की बात भी सुन लो
कुछ मत करो
बस कंधों पर हाथ रखकर ढाढ़स दे दो
सांत्वना के दो मीठे बोल , बोल दो
तुम्हारा तो कुछ नहीं गया
उसके लिए वह औषधि का काम कर गया
उसके घावों पर मरहम लग गया
तब अगली बार से जब कोई कुछ कहें
उसकी भी सुन लो
थोड़ा समय कुछ नेक काम के लिए भी निकाल लो
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