हम तो है मिट्टी
तू तो हैं कुम्हार
यह तो तेरे हाथ में
तू हमें कैसे गढता है
कैसा आकार देता है
हमें साकार करता है
तू तो है निराकार
सर्वशक्तिमान
तू जो चाहे कर सकता है
जीवन की नैया का तू खिवैया
तेरे हाथ में पतवार
तू ही पालनहार
तू ही है हमारा कुम्हार
तू ही विश्वकर्मा
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