प्रेरणा किससे ले
कोई तो ऐसा हो
जिससे हम प्रेरित हो
भले कोई गाॅड फादर न हो
भले ही द्रोण जैसा अर्जुन का गुरू न हो
एकलव्य बनना है
तब कोई समक्ष तो हो
जिससे हम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरित हो
वह मानव हो
यह भी जरूरी नहीं
सजीव हो निर्जीव हो
तब भी कोई फर्क नहीं पड़ता
वह हमारे मन में बसना चाहिए
पेड़ को ही ले ले
बिना कुछ कहे
छाया देता है
पत्थर और लाठी मारो
तब फूल और फल देता है
नदी , झरना , पहाड़
सब हमें प्रेरित कर सकते हैं
चींटी जैसी छोटी जीव
जो एकता का संदेश देती है
हार न मानने की प्रेरणा देती है
गिरकर उठने की प्रेरणा देती है
हाथी इतना विशालकाय
जो किसी की परवाह नहीं करता
बस अपनी चाल में चलता जाता है
कुर्सी निर्जीव है
पर वह हमें आकर्षित करती है
अगर उस पर बैठना है
ऊंचा स्थान हासिल करना है
तब तो मेहनत करना पडेगा
यहाँ तक कि पुस्तकें जो कि निर्जीव है
हमसे बतियाती है
प्रेरित करती है
भगवत गीता से अच्छा प्रेरित तो कोई नहीं कर सकता
साक्षात ईश्वर के मुख से
महाभारत का युद्ध लडने के लिए अर्जुन को प्रेरित करना
तब प्रेरणा तो ले
सोच - समझ कर ले
कौन हमारा आदर्श
किससे हमें प्रेरित होना है
यह तो हम पर निर्भर है
हमें तय करना है ।
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